Sadhana Shahi

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मंदिर (कविता )प्रतियोगिता हेतु23-Apr-2024

मंदिर (कविता ) प्रतियोगिता हेतु

परम चेतना खोजे खोजी, मंदिर में जा अलख जगाएँ। ईश्वर का आवास यहांँ है, मन में शुद्धता लेकर आएँ। मंदिर में जब कीर्तन करते, आंतरिक सुख देता आभास। परम पुरुष से प्रेरित होते, भक्ति,शांति दरिया बह जाए। परम चेतना खोजे खोजी, मंदिर में जा अलख जगाएँ।

भक्ति सागर में हम डूबे, कण-कण में भगवान विराजें। यहांँ पे आ मिलता आराम, उच्च चेतना स्व में जगाएंँ। ढोल, मजीरा, झाल के संग में, भक्ति के गीतों को गाएँ। परम चेतना खोजे खोजी, मंदिर में जा अलख जगाएँ।

पाहन की प्रभु की मूरत है, पर पाहन को भी पिघलाए। केंद्रित होती मानसिक ऊर्जा, भौतिकता को दूर भगाएंँ। प्रतिदिन जाकर शीश झुकाएँ, शक्ति महान क्षण भर में पाएँ। परम चेतना खोजे खोजी, मंदिर में जा अलख जगाएँ।

आत्मा से परमात्मा मिलती, बिन भटके हो मोक्ष की प्राप्ति। क्षण में लौकिक कष्ट है मिटता, तुझमें, मुझमें ईश्वर बसता। परम पुरुष की कृपा बरसती, जी भरकर हम उसमें नहाएँ। परम चेतना खोजे खोजी, मंदिर में जा अलख जगाएँ।

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1 Comments

Mohammed urooj khan

25-Apr-2024 11:35 PM

👌🏾👌🏾👌🏾👌🏾

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